आज मैं एशिया की सबसे बड़ी लाइब्रेरी में बैठा सोच रहा हूँ कि एक छप्पर के नीचे खाद वाली खाली बोरी पे बैठ के पंडित जी का इंतज़ार किया करते थे। पंडित जी एक पुरानी साइकिल से पसीने में भीगे चले आते थे। उन्हें देखते ही मैं घर दौड़ जाता था। अम्मी से कहता पंडित जी आ गए हैं। अम्मी तुरंत चाय बनाने लगतीं और किसी छोटे भाई को दुकान पे भेजा जाता, पंडित जी की डबलरोटी (मठरी) लाने के लिए। पंडित जी आते ही पूछते, 'मोइन मियां चाय बन गयी?' हम अपना होमवर्क चेक करा के पंडित जी की चाय लाते। शायद वो चाय उतनी मीठी नही होती थी जितनी मीठी उनकी बोली होती थी। हमारे घर वालों के सामने हमारी तारीफों के पुल बांधने में तनिक भी न चूकते थे।आज इस शानदार लाइब्रेरी में बैठा उन्ही के बारे में ख्याल कर रहा था। कि वो आज भी उसी पुरानी साइकिल से पतली पगडंडियों पर बच्चों को पढ़ाने गांव गांव जाते होंगे। ना जाने कितने बच्चों के भविष्य का मार्ग प्रशस्त करते होंगे। हमारे जैसों के भविष्य की नींव डालने में पूरी जान लगाते होंगे।
Moin's blog
Tuesday, January 25, 2022
Hey Rikshaw
People call me 'Hey Rikshaw'
No one knows me by my name.
Despite I am not eager to accept this identity,
But I have to respond.
Whether it is scorching heat,
Or it chilling cold.
This road is my habitat
This rikshaw is my scraggly bed.
A bike crashed me yesterday,
My leg and hand are bleedy
But I have to go for livelihood.
My family is waiting for me,
They want new clothes on this Eid.
Although I have a single dress,
But I'll bring for them.
I'll take less food, I'll miss my lunch.
But I'll make more money for my family.
They are waiting for me.
-Moin Khan
Sir Syed
Kuch rang faza me bikhre hain
Ek khushbu hawa me chayyi hai
Aur chaand hua hai madhyam sa
Sir syed wali eid hai aaj.....
Hai AMU dulhan bani huyi
Kuche aur galiyan saji huin
Har alig ko mubarak baad hai aaj
Sir syed wali eid hai aaj....
Saari duniya se ladkar bhi
Jisne AMU taameer kiya
Us rahbar ki ham ruhani aulaad
Sir syed waali eid hai aaj....
- Moin Khan
Dear Kalaam
Dear Kalaam, you were a missile man
But 4 me you are a great soul
U were not born to die
U died to be immortal
U r not witnessed by my eyes
But I can see u in d cluster of stars
U r seeing the millions of dreams
Flowering n flourishing by ur fellows
Your serene thoughts give us
A new energy to revive our nation.
-MoinKhan
रद्दी वाला
मैं हल्की नींद में था,
वो चिल्लाया, ''रद्दी दे दो'
आंख खुल गयी
सोचा क्यूँ न इसको रद्दी दे दूं
दिल के कमरे की
बहुत रद्दी जमा हो गयी है
हर कोने में रद्दी पड़ी है
कहीं बुरे ख्यालों की रद्दी
कहीं अना की रद्दी
कहीं हसद की रद्दी
कहीं तकब्बुर की रद्दी
कहीं लालच की रद्दी
मैं आंखें मसलते हुए उठा
दरवाज़ा खोला तो देखा
उसे दूर रास्ते पे
ओझल होते हुए
मैंने दरवाज़ा बंद किया
फिर आ के सो गया।
-मोईन खान
Reminds You
Rattling of water on the rocks
Echoing of chirps in the open forests
Fleet of the running deer herds
Taciturnity of the deep valleys
Reminds You
How you made the water itinerant
How you raised the mountains high
How you beautify the butterfly
How you command all the specks
I see you in the warm eyes
I see you in the solicituding faces
I see you in the reuniting souls
I see you in the departing dejections
You are throned on high skyes
You dwell in the breaking sighes.
- Moin Khan
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पंडित जी
आज मैं एशिया की सबसे बड़ी लाइब्रेरी में बैठा सोच रहा हूँ कि एक छप्पर के नीचे खाद वाली खाली बोरी पे बैठ के पंडित जी का इंतज़ार किया करते थे। ...